सभी समाए --------भजन
हरि देखूँ किस रूप में तुझको
तुझ में सभी समाए
गिरधर कि मीरा को देखूँ
राधा कोई मोहे भाए..............
हरि देखूँ किस रूप में .............................2
देख लिया इस जग बंधन को
अखियन नीर बहाए
पीड भरे इस मन कि दुखिया
जगत थाह ना पाए
हरि देखूँ किस रूप में ........................................2
देख लिया है रूप सलोना
छलिया मन भटकाए
"अरु" इस मन का भेद अनोखा
चाकर बन रह जाए
हरि देखूँ किस रूप में ...............................................2
आराधना राय "अरु"
बहुत भक्ति पूर्ण रचना ।
ReplyDeleteमैं धन्य हुई आप कि टिप्पणी महवपूर्ण है मेरे लिए आभार
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