गीत -
एक प्रेम रस का गीत-----50 साल पुराना गीत
रे। मन संभल संभल पग धारियों
झूल चुका तू प्रेम का झुला मन को वश मे करियो।
रे। मन
इस जग मे नहीं अपना कोई
परछाई से डारियो
रे मन
दौलत दुनियां कुटुंब कबीरा इन से मोह कबहू
ना करियो
प्रीत की बाती से दिया बनाकर सुमिरन करते
रहियो
रे मन संभल संभल पग
धरियों।
चढ़ती- ढलती धुप है जीवन मन को बस में
कारियों
रे मन संभल संभल पग
धरियों।
आराधना राय "अरु"
ज्ञानवती जी से सीखा गीत
संगीत शिक्षिका
1960 में मेरी माँ शारदा द्वारा गया गीत
रे। मन संभल संभल पग धारियों
झूल चुका तू प्रेम का झुला मन को वश मे करियो।
रे। मन
इस जग मे नहीं अपना कोई
परछाई से डारियो
रे मन
दौलत दुनियां कुटुंब कबीरा इन से मोह कबहू
ना करियो
प्रीत की बाती से दिया बनाकर सुमिरन करते
रहियो
रे मन संभल संभल पग
धरियों।
चढ़ती- ढलती धुप है जीवन मन को बस में
कारियों
रे मन संभल संभल पग
धरियों।
आराधना राय "अरु"
ज्ञानवती जी से सीखा गीत
संगीत शिक्षिका
1960 में मेरी माँ शारदा द्वारा गया गीत
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