गीत------ मैं सब हारी रे
चित्र साभार गुगल
मैं सब हारी रे
जीवन में अपनाया तेरा नाम रे
मुझे भाया नहीं कोई काम रे
मैं सब हारी रे
तन से उज़ली मन कि मैली
लोभ मोह कि तृष्णा झेली
मैं तिहारी रे
सब कुछ ही समाया तेरे धाम में
मैं तो भूल गई सारे काम रे
मैं सब हारी रे
आती- जाती साँस भी तेरी
पाती - लिखू मैं नाम कि तेरी
भई मतवाली रे
तूने है पिलाया ऐसा जाम रे
जग आया नहीं मेरे काम रे
आराधना राय "अरु"
बढ़िया..
ReplyDeleteधन्यवाद रश्मि जी
Deleteआभार आपका दिलबाग जी धन्यवाद
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