चेत्र नवरात्र
माँ तूम प्रेम की धारा
सकल विश्व ही हारा
माँ तूम प्रेम कि धारा................................................2
मन में प्रकाश तुम्हारा
सृष्टि रूप तूमने धारा..
ज्ञान सत्व से नहलाती
अनुपम प्रेम है तिहारा,
माँ तूम प्रेम की धारा...................................................2
प्रथम पूजे संसार तुम्हें
श्रृंगार धरती करें तिहारा
नव शक्ति, मान तुम्हीं हो
निसदिन लेते नाम तुम्हारा
माँ तूम प्रेम कि धारा.........................................................2
स्वर का हर नाद तुम्ही हो
ब्रहम- वादिनी, सत्यवादिनी
श्वेत दुग्ध सी धार तुम्ही हो
तूम ही अदि तुम्ही में अंत
जन्म - जन्म का सार तुम्हीं हो
माँ तूम प्रेम कि धारा.........................................................2
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