नव रंग रस
नव रंग रस को बोल कर कोयलिया कहाँ चली
पीहू- पिहू मचा के शोर तू कित उड़ - उड़ चली
कारे -कारे बादरा तू भी झूम ले संग -संग कभी
ना तू मुँह से बोल बोलियों पी आ गए मेरे सखि
मुख से बोलूँगी अखियों से अपने रस को धोलुंगी
हिय से हिय कि बात बनमाल लिए कुंज में डोलूँगी
पी के दरस कि प्रेम दीवानी बन वन वन ना डोलूँगी
"अरु" पिय कि पीर संग नित तुम संग ना यूँ बोलूगी
आराधना राय "अरु"
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