राम रट लागि







कैसे छोड़ू  राम  रट लागि
जिन नयनों से अंजन लीनी 
खंजन  कपोत कह लाती    
कैसे छोड़ु राम  रट लागि
अश्रु  मेरे  राम ने दीन्हाँ
नयना  खो  कहाँ  जाती
अश्रु  मेरे  राम ने दीन्हाँ
उड़ते खग का नहि भरोसा
उड़- स्वपन लोक पा जाते
कैसे छोड़ू  राम  रट लागि 
चुग  के उड़ते अपना दाना 
किसने बैरागी खग को रोका   
कैसे छोड़ू  राम  रट लागि
राग -बैराग  बसा  मन  में
तुझे  सुख- दुख में  पाती 
मन  में बसे राम  संग माहि 
कुटिया  संग  वृक्ष  है  रोपा
मनका महल बना क्या देखा
राम  सकल  धुन  पे  नाची  

आराधना राय "अरु"

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