कैसी पभू तूने कायनात बांधी-2 एक दिन के पीछे एक रात बांधी साथ - साथ बांधी 2 कैसी पभू तूने..... कभी थकते नहीं है वो घोड़े तूने सूरज के रथ में जो जोड़े-2 चाँद दूल्हा बना, व्याहने रजनी चला साथ चंदमा के तारों की बारात बांधी साथ साथ बांधी.... कैसी प्रभू तूने................. कैसी खूबी से बांधा ये मौसम सर्दी, गर्मी, बसंत और ग्रीषम साथ बादलों के बीच बरसात बांधी साथ - साथ बांधी कैसी प्रभू तूने................. पशू - पक्षी वो जलचर छुपाए तूने सब के है जोड़े बनाए,, राग और रागनी , नाग और नागनी साथ स्त्री के पुरुषों की जात बांधी साथ- साथ बांधी कैसी प्रभू तूने................. आराधना राय "अरु" तर्ज़-- आधा है चंद्रमा बात आधी.....
दरद न जाण्यां कोय हेरी म्हां दरदे दिवाणी म्हारां दरद न जाण्यां कोय। घायल री गत घाइल जाण्यां, हिवडो अगण संजोय। जौहर की गत जौहरी जाणै, क्या जाण्यां जिण खोय। दरद की मार्यां दर दर डोल्यां बैद मिल्या नहिं कोय। मीरा री प्रभु पीर मिटांगां जब बैद सांवरो होय॥ अब तो हरि नाम लौ लागी सब जग को यह माखनचोर, नाम धर्यो बैरागी। कहं छोडी वह मोहन मुरली, कहं छोडि सब गोपी। मूंड मुंडाई डोरी कहं बांधी, माथे मोहन टोपी। मातु जसुमति माखन कारन, बांध्यो जाको पांव। स्याम किशोर भये नव गोरा, चैतन्य तांको नांव। पीताम्बर को भाव दिखावै, कटि कोपीन कसै। दास भक्त की दासी मीरा, रसना कृष्ण रटे॥ फागुन के दिन चार फागुन के दिन चार फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥ बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे। बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥ सील संतोखकी केसर घोली प्रेम प्रीत पिचकार रे। उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे॥
चित्र साभार गुगल मैं सब हारी रे जीवन में अपनाया तेरा नाम रे मुझे भाया नहीं कोई काम रे मैं सब हारी रे तन से उज़ली मन कि मैली लोभ मोह कि तृष्णा झेली मैं तिहारी रे सब कुछ ही समाया तेरे धाम में मैं तो भूल गई सारे काम रे मैं सब हारी रे आती- जाती साँस भी तेरी पाती - लिखू मैं नाम कि तेरी भई मतवाली रे तूने है पिलाया ऐसा जाम रे जग आया नहीं मेरे काम रे आराधना राय "अरु"
Comments
Post a Comment